चरम सुख और ध्यान योग
चरम सुख और ध्यान योग
1. ऑर्गाज्म मेडिटेशन (orgasmic meditation) क्या है
ऑर्गाज्म मेडिटेशन रतिक्रिया नहीं है लेकिन इसमें रतिक्रिया यानी यौन सम्बन्ध को चरम तक पहुंचने वाले सुख का अनुभव होता है। वर्तमान में पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है, क्योंकि यह महिलाओं के लिए है। ऑर्गाज्म मेडिटेशन में महिला के भग-शिश्न (clitoris) को 15 मिनट तक रगड़ता है उसपर आराम से प्रहार करता है। स्ट्रोकिंग कथित तौर पर लिम्बिक सिस्टम (अंग तंत्र) को सक्रिय करता है और ऑक्सीटोसिन को बढ़ा देता है। इस क्रिया के दौरान अपने पार्टनर के बहुत करीब होने का अनुभव होता है और यह चरम सुख प्रदान करता है । इस क्रिया में जरूरी नहीं कि आपके साथ पार्टनर हो, यानी इसमें बिना पार्टनर के भी आपको चरम सुख मिलता है । इस तकनीक की शुरूआत निकोल जाएडोन ने की ।
2. कैसे करते हैं
इस क्रिया में जो स्ट्रोक करने वाला होता है वह सीधे क्लिटोरिस पर प्रहार नहीं करता, बल्कि प्यार से और धीरे से पैरों की मसाज करता है। फिर आराम से स्ट्रोकर्स भग-शिश्न पर प्रहार करता है और यह क्रिया 15 मिनट तक निरंतर चलती रहती है। इन 15 मिनट के दौरान महिला को चरम सुख की प्राप्ति होती है।
3. इससे मिलती है एक नई आज़ादी
इस पद्धति के समर्थकों के अनुसार जब लोग ऑर्गाज्म मेडिटेशन करने के लिए आते हैं तो उनके दिमाग में कई सारी बाते होती हैं, झिझक होती है । लेकिन इसे करने के बाद इसके बहुआयामी प्रभाव से उन्हें एक कमाल की स्वतंत्रता का अनुभव होता है। फिर सेंटर में दोस्त प्रेमी हो जाता है और प्रेमी दोस्त सीमाओं की पाबंदी से मुक्ति मिल जाती है।
4. महिलाओं के लिए ऑर्गाज्म का महत्व
मास्टर्स ऐंड जॉनसन ने पहली बार वैज्ञानिक अध्ययन के माध्यम से निष्कर्ष निकाला था कि 75 प्रतिशत पुरुष कामक्रीड़ा में शीघ्रपतन के शिकार हो जाते हैं या फिर वो मिलन के दौरान ऑर्गाज्म के पहले ही स्खलित हो जाते हैं । वहीं 90 प्रतिशत स्त्रियां तो यह भी नहीं जानती कि ऑर्गाज्म, शिखर, काम-समाधि दरअसल होती क्या है। जिसके चलते वे इस चरम तक हीं पहुंच पाती हैं। आधुनिक मनोविज्ञान और हमारा तंत्र विज्ञान दोनों इस तथ्य से सहमत हैं कि जब तक स्त्री काम क्रीड़ा में गहन तृप्ति को नहीं होती, वह परिवार के लिए समस्या बनी रहती है।
5. इसके होते हैं कुछ नियम
इसके अलावा स्ट्रोकिंग करने जा रहे पुरुष को महिला को ये बताना होता है कि वो क्या करने जा रहा है । इसे सेफरिपोर्टिंग (safeporting) कहा जाता है । महिला स्ट्रोकिंग के दौरान शरीर के निचले भाग के कपड़े निकाल देती है, लेकिन पुरुष पूरे कपड़ों में ही होता है ।
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